इस सप्ताह का प्रादर्श है - राही

इस सप्ताह का प्रादर्श है - राही

कोरोना वायरस (कोविड-19) के प्रभाव से उत्पन्न कठिन चुनौतिपूर्ण समय में जनता को संग्रहालय से ऑनलाइन के माध्यम से जोड़ने एवं उन्हें संग्रहालय के ऐतिहासिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के बारे में गहरी समझ को बढ़ावा देने के उद्देश से इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा शरू की गई नवीन श्रृंखला 'सप्ताह का प्रादर्श' के अंतर्गत इस माह के प्रथम सप्ताह के प्रादर्श के रूप में झारखंड के संथाल समुदाय के पारंपरिक पालकी “राही ” को दर्शकों के मध्य प्रदर्शित किया गया।

नववधू को अपने पिता के घर से ससुराल ले जाने के लिए उपयोग की जाने वाली यह अलंकृत नक्काशीदार ‘राही’ झारखंड के संथाल समुदाय के पारंपरिक विवाह में प्रमुख स्थान रखती है। वधू के बैठने हेतु उचित रूप से निर्मित इस पालकी की छत सुंदर रूप से सुसज्जित है। यह पालकी तीन तरफ से काष्ठ पैनलों से घिरी है। प्रत्येक काष्ठ पैनल में पशु-पक्षियों और पुष्पों की आकृतियां तथा बारात के दृश्यों की अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति है। अंदर बैठने की जगह धागों से निर्मित है। पालकी से संबंधित मौखिक परंपराओं तथा गीतों से जुड़ी यह प्राचीन परंपरा सामाजिक परिवर्तन की विभिन्न प्रक्रियाओं के कारण शनै: शनै: समाप्त होती जा रही है।

Updated date: 03-06-2020 10:19:06