हमारे बारे में

भोपाल की बड़ी झील के किनारे 200 एकड़ के रमणीक क्षेत्र में स्थित इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भारत का विषालतम मुक्ताकाष मानव षास्त्रीय संग्रहालय है। सन् 1977 में स्थापित यह संग्रहालय अपने मुक्ताकाष एवं अंतरंग प्रदर्षनियों के माध्यम से काल एव स्थल के संदर्भ में मानव जाति की समेकित गाथा को प्रस्तुत करता है। मुक्ताकाष प्रदर्षनियों में जनजातीय आवास, तटीय गाँव, मरूगाँव, हिमालयीन ग्राम, मिथक वीथी तथा पारंपरिक तकनीक षामिल हैं, जिनका निर्माण सम्बंधी स्थानीय समूहों ने क्षेत्र विषेष से लाई गई कच्ची सामग्री से किया है। ये प्रदर्षनियाँ भारत की पारंपरिक स्थापत्य धरोहर एवं उससे संबद्ध ज्ञान पद्धति की विविधता एवं समृद्धता की आकर्षक झलकियां प्रस्तुत करती हैं संग्रहालय को अपने परिसर में प्रागैतिहासिक षैलाश्रयों के होने का गौरव प्राप्त है जिसे पहुँच मार्ग एवं सम्बंधित जानकारी लेबलों पर अंकित कर मुक्ताकाष प्रदर्षनी के रूप मे विकसित किया है। वीथी संकुल, अंतरंग संग्रहालय में मानव जैविकी तथा सांस्कृतिक उद्विकास और विविधताओं से संबद्ध विभिन्न विषयों पर 13 दीर्घाएं दर्षकों के विषेष आकर्षण हैं। साथ ही सामयिक प्रदर्षनियां, प्रस्तुतिकारी कलाओं की प्रस्तुतियां, कलाकार कार्यषालाएं तथा षैक्षणिक कार्यक्रम आदि संग्रहालय के नियमित आयोजन हैं। संग्रहालय अपने दर्षकों के लिये केन्टीन, संग्रहालय दुकान एवं गाइड की सुविधाएं भी उपलब्ध कराता है। संग्रहालय का क्षेत्रीय केन्द्र, दक्षिण भारत के मैसूर षहर में धरोहर भवन ‘वेलिंगटन हाउस’ एवं संस्कृति व्याख्या केन्द्र, माजुली, असम में स्थित है।

संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के एक स्वायत्तशासी संस्थान इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, (नेशनल म्यूजि़यम ऑफ़ मेनकाइंड) ने मार्च 1977 में नई दिल्ली में संस्कृति विभाग के एक अधीनस्थ कार्यालय के रूप में कार्य करना प्रारंभ किया। 1979 के प्रारंभ में मध्यप्रदेश राज्य शासन से 200 एकड़ का परिसर आबंटित होने पर यह संस्थान भोपाल स्थानांतरित किया गया। मार्च 1985 में संग्रहालय का दर्जा एक 'अधीनस्थ कार्यालय' से स्वायत्तशासी संस्थान का किया गया तथा संग्रहालय के कार्यक्रमों और गतिविधियों के पर्यवेक्षण और नियंत्रण का दायित्व 'राष्ट्रीय मानव संग्रहालय समिति' को सौंपा गया। कालांतर में संग्रहालय के विस्तार केंद्र के रूप मे दक्षिण क्षेत्रीय केंद्र ने कर्नाटक राज्य  सरकार द्वारा आबंटित

धरोहर भवन 'वेलिंगटन हाउस' से मैसूर में अक्टूबर 2001 से कार्य करना प्रारंभ किया।

          संग्रहालय के उद्देश्यों में सम्मिलित हैः भारत के सांस्कृतिक प्रतिमानों की विविधता और समृध्दता तथा उसमें अंतर्निहित एकता को प्रकाशित करते हुए अपनी मुक्ताकाश तथा अंतरंग प्रदर्शनियों के माध्यम से मानव जाति के जैव-सांस्कृतिक उद्विकास की समेकित गाथा का प्रस्तुतिकरण, संग्रहालय विज्ञान में शोध और प्रशिक्षण के केन्द्र के रूप में कार्य करना तथा भारत में नव संग्रहालय आन्दोलन की शुरूआत करना एवम् सांस्कृतिक जीवन की विविधता को संरक्षित और प्रस्तुत करना । इंगांरामासं राष्ट्रीय एकता तथा विलुप्त प्राय किन्तु बहुमूल्य सांस्कृतिक परम्पराओं के संरक्षण व पुनर्जीवीकरण हेतु अंतर्संगठनात्मक नेटवर्किंग तथा शोध व प्रशिक्षण को बढावा देने हेतु भी कार्यरत है।

          विभिन्न समुदायों से विशेषज्ञों तथा पारम्परिक कलाकारों की सक्रिय सहभागिता से निर्मित मुक्ताकाश तथा अंतरंग प्रदर्शनियां  तथा देश के विभिन्न भागों में शैक्षणिक एवं  आउटरीच   गतिविधिया संस्थान के अभिनव पक्ष हैं। अपनी प्रदर्शनियों, शैक्षणिक कार्यक्रमों तथा साल्वेज गतिविधियों के माध्यम से इंगांरामासं भारत की पारंपरिक जीवन शैली की सौन्दर्यात्मक विशेषताओं, लोगों के स्थानीय पारंपरिक ज्ञान एवं नैतिक मूल्यों की आधुनिक समाज के साथ सतत प्रासंगिकता को प्रदर्शित करने के साथ ही लोगों को पारिस्थितिकी तथा पर्यावरण, स्थानीय मूल्यों और परंपराओं के अभूतपूर्व विनाश के प्रति सचेत कर रहा है।

       संग्रहालय के कार्यक्रम एवं गतिविधियां तीन प्रमुख उपयोजनाओं के अंतर्गत संचालित होती हैः

1. अधो संरचनात्मक विकास:

    (संग्रहालय संकुल का विकास),

2.़ शैक्षणिक एवं आउटरीच कार्यक्रम, तथा

3.आपरेशन साल्वेज ।

Updated date: 13-04-2016 02:41:17