ऑनलाइन प्रदर्शनी श्रृंखला

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा वर्तमान कोविड महामारी के दौरान लॉकडाउन के चलते सभी को अपने साथ डिजिटल रूप से जोड़ने के उद्देश्य से भोपाल स्थित अपने 200 एकड़ के परिसर में प्रदर्शित प्रादर्शों को ऑनलाइन दिखाने के लिए एक नई श्रृंखला प्रारंभ कर रहा है। इस श्रृंखला का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक जीवन शैली की सौंदर्यात्मक विशेषताओं, स्थानीय ज्ञान और संस्कृति की आधुनिक समाज के साथ निरंतर प्रासंगिकता को उजागर करना है। इस श्रृंखला का उदघाटन आज माननीय केन्द्रीय राज्य मंत्री, पर्यटन एवं संस्कृति, भारत सरकार, श्री प्रहलाद सिंह पटेल द्वारा किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में संग्रहालय के निदेशक, डॉ. प्रवीण कुमार मिश्र ने माननीय मंत्री जी का स्वागत किया एवं प्रतीक चिन्ह भेंट किया।

इस अवसर पर, श्री पटेल ने कहा कि भारतीय संस्कृति की महत्ता तथा जीवनशैली सर्वश्रेष्ठ और सबसे उन्नत है। मानव संग्रहालय की खास बात संग्रहालय परिसर में ही विद्यमान प्रागैतिहासिक शैलचित्र है। इससे बड़ी पूंजी दुनिया में किसी भी संग्रहालय के पास नहीं है। मुक्ताकाश प्रर्दशनी के बारे में दुनिया में इस संग्रहालय की प्रतिष्ठा सबसे ज्यादा है। इस संग्रहालय के  बारे में  तथ्यपरक बाते ज्यादा से ज्यादा लिखी जानी चाहिए। कुछ  लोगों ने हमारी मान्यताओं को कमत्तर बताने एवं अनुपयोगी साबित करने का कार्य जरूर किया है लेकिन इससे घबराने की जरुरत नहीं है। कोरोना महामारी से यह बात उभरकर सामने आई है कि हमारी पारम्परिक जीवन पद्धति के कारण ही हम भारतीय शेष विश्व की तुलना में ज्यादा सुरक्षित है। अभिवादन के लिए परम्परागत रूप से हाथ जोड़ने के तरीके को विश्व के अन्य देश भी अपना रहे है और हमारी संस्कृति को सम्मान से देख रहे हैं। सांस्कृतिक विरासत एवं जीवन पद्धति के तथ्यों का आकलन पूर्वाग्रह से मुक्त होकर करना चाहिए।

इसके पश्चात माननीय मंत्री महोदय ने ऑनलाईन प्रदर्शनी श्रृंखला के अंतर्गत आज संग्रहालय के पारंपरिक तकनीक उद्यान मुक्ताकाश प्रदर्शनी परिसर में प्रदर्शित छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के रजवार लोकसमूह में प्रचलित बीजो से तेल निकालने के उपकरण “तिरही” को ऑनलाईन जारी किया। इस प्रादर्श को इसकी मूल जानकारी एवं छायाचित्रों एवं वीडियों सहित प्रस्तुत किया गया है।

इस शुभारंभ के पश्चात निदेशक महोदय एवं वरिष्ठ संग्रहालयविदों द्वारा मा. मंत्री जी को संग्रहालय के अंतरंग प्रदर्शनी भवन के दीर्घाओं का भ्रमण कराया गया।

ऑनलाइन प्रदर्शनी श्रृंखला – Online Exhibition Series (Click to view the online exhibtion series)

इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय अपनी स्थापना के समय से ही मानव जाति की गाथा को, समय और स्थान के परिप्रेक्ष्य में दर्शाने में संलग्न है। संग्रहालय भारतीय विरासत के संरक्षण, सवर्धन और पुनरुद्धार पर केंद्रित है। इसकी अंतरंग और मुक्ताकाश प्रदर्शनियाँ देश भर में रहने वाले विभिन्न समुदायों की लुप्त प्रायः स्थानीय संस्कृतियों की प्रासंगिकता को प्रदर्शित करती है। इस महामारी के दौरान सभी को अपने साथ डिजिटल रूप से जोड़ने के उद्देश्य से इं.गाँ.रा.मा.सं. 200 एकड़ में प्रदर्शित अपने प्रादर्शों को ऑनलाइन प्रदर्शित करने हेतु एक नई श्रृंखला प्रस्तुत कर रहा है। प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक जीवन शैली के विभिन्न सौंदर्य गुणों और आधुनिक समाज में इसकी निरंतरता को उजागर करना है।

श्रृंखला के मुख्य आकर्षण में जनजातीय आवास, हिमालयी गांव, मरु ग्राम और तटीय गांव की मुक्ताकाश प्रदर्शनियों में दर्शायी गयी पारंपरिक वास्तु विविधता है। पारंपरिक तकनीकी पार्क मुक्ताकाश प्रदर्शनी में सरल तकनीकी के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने में रचनात्मक कौशल को दर्शाया गया है। शैल कला धरोहर प्रदर्शनी प्रागैतिहासिक काल के दौरान मानव विचारों और संचार की अभिव्यक्ति का एक उल्लेखनीय उदाहरण है। पुनीत वन प्रदर्शनी जैव विविधता के संरक्षण के पारंपरिक तरीकों को प्रदर्शित करती है। मिथक वीथि मुक्ताकाश प्रदर्शनी में विभिन्न समुदायों के दैनिक जीवन से संबंधित कथाओं का चित्रण देखा जा सकता है। कुम्हार पारा प्रदर्शनी, भारत की मिट्टी के बर्तनों और टेराकोटा परंपराओं पर केंद्रित है।

वीथि संकुल- अंतरंग संग्रहालय भवन की 12 दीर्घाओं में मानव संस्कृतियों के विविध पहलुओं को दर्शाया गया है। इसके मुख्य आकर्षण में भारत सहित दुनिया भर से संकलित प्रादर्शों को मॉडल, ग्राफिक्स, डायरोमास, शोकेसेस के माध्यम से विषयवार प्रस्तुत किया गया है।

18 जून, 2020 से प्रारंभ हो रही इस श्रृंखला में पारंपरिक तकनीकी मुक्ताकाश प्रदर्शनी से प्रादर्श की प्रस्तुति दी जा रही है।

https://youtu.be/gqv342bFzng