अंजि पफल

मणिपुरी  देवता-पांखगबा का प्रतिकात्मक प्रतिनिधित्व करता है अंजि पफल – एन. सकमाचा सिंह

मणिपुर के एंड्रों ग्राम कुम्हारों द्वारा अनुष्ठानिक उपयोग में लाए जाने वाले अनुष्ठानिक पात्र ‘‘अंजि पफल’’ को इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय की कुम्हारा पारा मुक्ताकाश प्रदर्शनी में आज संग्रहालय के निदेशक, प्रो. सरित कुमार चौधुरी द्वारा लोकर्पित किया गया। इस अवसर पर संग्रहालय के संयुक्त निदेशक, श्री दिलीप सिंह एवं टैगोर फेलो, प्रो. के. के. बासा सहित बड़ी संख्या में संग्रहालय के अधिकारी/कर्मचारी तथा दर्शक गण उपस्थित थे।

इस अवसर पर, संग्रहालय के श्री एन. सकमाचा सिंह (संग्रहालय एशोसिएट) ने बताया कि, प्रदर्शित प्रादर्श अंजी पफल मणिपुर के शासक देवता-पांखगबा का प्रतिकात्मक प्रतिनिधित्व करता है। यहाँ निवासरत मैतेई समुदाय के लोग कई प्रकार के बिमारियों से छुटकारा पाने हेतु पांरपरिक मान्याताओं के अनुसार अलग-अलग समय में पूजा अर्चना करते है। यह सरीसृप एवं स्तनधारी दोनों प्रजातियों के लक्षण को प्रदर्शित करता है। अंजी पफल सिर में स्तनधारी और शरीर तथा पूंछ से सरीसृप प्रजाति की रूपाकृति लिए हुए है।

मैतेई संस्कृति में लगभग 365 पौराणिक आकृतियों के विभिन्न आकार-प्रकार के पफल (देवाकृति) होते है। जिसमें से यह एक पांखम्बा के आधारभूत आकृति माना जाता है। यह कलाकृतियाँ वास्तुकला, मिट्टी के बर्तन, मर्शलआर्ट एवं मणिपुर के प्रदर्शनकारी विभिन्न कलारूपों में तथा उनके जीवन के कई पहलुओं में परंपरा विद्यमान है।

स्वर्गीय पंडित खेलचंद्र के अनुसार, अतियागुरू सिदबा और लीमरेल सिदाबी के मिलन से पृथ्वी में प्रथम जीवन की शुरूवात को प्रदर्शित करता है। 12 फीट ऊंची इस पफल की आकृति का निर्माण इम्फाल, मणिपुर से 45 कि.मी. दूर स्थित ग्राम एंड्रों के कुम्हार सदस्यों द्वारा मुख्य कलाकार, श्री एम. नोबिन के नेत्वृत में 06 कुम्हार सदस्यों द्वा

Updated date: 20-09-2019 10:14:09