हिन्दी को उत्सव के रूप में मनाये – डॉ. मिश्र

हिन्दी को उत्सव के रूप में मनाये – डॉ. मिश्र

इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल के राजभाषा अनुभाग द्वारा आज चतुर्थ तिमाही के तहत हिन्दी प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन संग्रहालय के शैलकला भवन सभागार में किया गया। जिसमें श्री मुकेश बंसोडे, उप प्रबंधक (राजभाषा विभाग), द न्यू इंडिया एश्योरेंस लि. भोपाल द्वारा ‘‘संविधान में हिंदी एवं केंद्र की राजभाषा नीति” विषय पर विशेष व्याख्यान दिया गया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि का स्वागत संग्रहालय के निदेशक महोदय द्वारा किया गया। तत्पश्चात संग्रहालय के राजभाषा अधिकारी, श्री सुधीर श्रीवास्तव ने श्री मुकेश बंसोडे का परिचय दिया एवं इस प्रशिक्षण कार्यशाला के महत्व एवं उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राजभाषा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए 05 बार राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

कार्यशाला को एक कविता के माध्यम से संबोधित करते हुए श्री मुकेश बंसोडे ने कहा कि, “तुम्हीं ना समझें जब मेरे गीतों की भाषा, दुनिया सौ-सौ अर्थ लगाये क्या होता है।” “ये मेरे मन की कमजोरियां, मज़बूरी है कुछ भी कह लो, सिर्फ तुम्हें ही अपनाया है।” “तुम्ह ही ना अपना पाए मुझकों मित मेरे जब, ये सारी दुनिया अपनाये तो क्या होता है।” उन्होंने आगे कहा कि व्यवसायिक हित एवं संस्थान की प्रगति की दृष्टि से हिंदी की भूमिका को समझना जरूरी है। राजभाषा के संदर्भ में संवैधानिक प्रावधानों का शत-प्रतिशत अनुपालन जितना आवश्याक है उतना ही जनभावनाओं और आवश्यकताओं के प्रति सकारात्मतक भाव भी जरूरी है ताकि हम जनभाषा में उत्कृष्ट सेवा के नए मापदंड तय करते हुए भाषा को अंगीकार कर सके। प्रेरणा और प्रोत्साहन से ही राजभाषा की प्रगति निश्चित है।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए संग्रहालय के निदेशक, डॉ. पी. के. मिश्र ने कहा कि राजभाषा हम सबको आपस में जोड़ने का एक सशक्त माध्यम है। हिंदी में कार्य करने से सहजता महसूस होती है। किसी कार्य को आगे बढ़ने के लिए जैसे सोचते है वैसा ही लिखे, आसपास के शब्दों का प्रयोग करते हुए पड़ोस के सहोदर भाषा (मराठी, गुजराती एवं स्थानीय बोली आदि) के शब्दों का भी उपयोग करें। हिंदी का अत्यधिक प्रचार-प्रसार पहले फिल्मों के माध्यम से हुआ और वर्तमान में बाजारवाद ने इसे व्यापक रूप से बढ़ाया है।

कार्यशाला का संचालन राजभाषा अधिकारी, श्री सुधीर श्रीवास्तव तथा कार्यक्रम के अंत में संग्रहालय के ऑडियो-विजुअल विभाग के प्रमुख, श्री हेमंत बहादुर सिंह परिहार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

Updated date: 16-02-2020 10:11:45