सप्ताह का प्रादर्श

इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय

कोविड-19 महामारी के प्रसार के कारण दुनिया भर के संग्रहालय बंद है लेकिन यह सभी अपने दर्शकों के साथ निरंतर रूप से जुड़े रहने के लिए विभिन्न अभिनव तरीके अपना रहे हैं। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय ने भी इस महामारी द्वारा प्रस्तुत की गई चुनौतियो का सामना करने के लिए कई अभिनव प्रयास प्रारंभ किए है। अपने एक ऐसे ही प्रयास के अंतर्गत मानव संग्रहालय 'सप्ताह का प्रादर्श' नामक एक नवीन श्रृंखला प्रस्तुत कर रहा है। पूरे भारत से किए गए अपने संकलन को दर्शाने के लिए संग्रहालय इस श्रंखला के प्रारंभ में अपने संकलन की अति उत्कृष्ट कृतियां प्रस्तुत कर रहा है जिन्हें एक विशिष्ट समुदाय या क्षेत्र के सांस्कृतिक इतिहास में योगदान के संदर्भ में अद्वितीय माना जाता है। यह अति उत्कृष्ट कृतियां संग्रहालय के 'AA'और 'A' वर्गों से संबंधित हैं। इन वर्गों में कुल 64 प्रादर्श हैं।

 

 

सप्ताह का प्रादर्श

28-31 मई, 2020 

 

कपाल

एक आनुष्ठानिक कटोरा

 

कपाल हिमालयी क्षेत्र के बौद्ध समुदायों में तांत्रिक आनुष्ठानों में उपयोग किया जाने वाला एक पात्र है। इसके खूबसूरती से गढ़े गए तीन मूल भाग - आधार, 

धारक और ढक्कन है। इस प्रादर्श का मुख्य आकर्षण आनुष्ठानिक कटोरे के रूप में प्रयुक्त मानव कपाल के एक हिस्से की उपस्थिति है।

  कई तिब्बती शिल्पों और चित्रों में दर्शाए गए क्रुद्ध बौद्ध देवी-देवताओं को हाथ में कपाल लिए दिखाया गया है। इस प्रादर्श में छोटी बड़ी लहरों वाले प्रभावशाली अभिप्रायो के माध्यम से रक्त के सागर का प्रतीकात्मक अंकन बहुत खूबसूरती से किया गया है। ढक्कन के शीर्ष पर लगाई गई घुण्डी दोरजे (एक अनुष्ठानिक अस्त्र) का द्य®तक है। ढक्कन का निचला भाग कतिपय 

अर्ध-मूल्यवान रत्नों से सुसज्जित है।

कपालों का इस्तेमाल आध्यात्मिक उद्देश्यों हेतु तंत्र के माध्यम से चेतना की उच्च अवस्था को प्राप्त करने के लिए किया जाता था। बौद्ध मठों में इसे कुपित देवी-देवताओं को अर्पित करने के लिए रक्त और मांस के प्रतीक के रूप में प्रयुक्त लोई और केक को रखने वाले पात्र के तौर पर किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह मृतक के सद्गुणों और दुर्गुणों को धारण करने वाला पात्र है। यह विश्वास किया जाता है कि यदि इसे उचित धार्मिक निर्देशों और तांत्रिक व्यवहारों के साथ उपयोग किया जाए तो यह हानिकारक प्रभावों को टाल सकता है।

 

 

आरोहण क्रमांक -   79.21 

समुदाय - बौद्ध  

स्थान - लद्दाख, भारत 

माप : ऊँचाई - 41.5 CMS चैड़ाई- 19.5 CMS 

श्रेणी : AA

Updated date: 29-05-2020 11:17:04