श्रीमती पी अनुराधा द्वारा क्यूरेटोरियल टॉक 25 जुलाई, 2018

इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय की लोकप्रिय कार्यक्रम क्यूरेटोरियल टॉक के अंतर्गत विशेष व्याख्यान में संग्रहालय की संग्रहालय एशोसिएट, श्रीमती पी. अनुराधा ने जम्मू-कश्मीर राज्य में निवासरत गुज्जर एवं बकरवाल जनजातियों पर किए क्षेत्रकार्य के संदर्भ में आज अपने टॉक में बताया कि जम्मू-कश्मीर राज्ये के गुज्जर एवं बकरवाल दो ऐसी जनजातीयां है जो मौसमी चक्र के अनुसार पशुधन को ठंड के मौसम में पहाड़ी क्षेत्र से गर्म निचले इलाके की घाटियों वाले मैदान में ले जाने और गर्मी के मौसम में ठंडी पहाड़ी मैदान एवं घाटियों में पशुओं को ले जा कर चारा चराने का कार्य ये लोग निरंतर करते है। चारागाहों की मौसमी उपलब्धता का फायदा उठाते हुए पशुओं के झुण्ड को इन्ही मार्गों से लाते और वापस ले जाते है जिससे पशुओं को मौसम के आधार पर पुरे माह चारा उपलब्ध होता है साथ ही पशुओं के स्वास्थ का भी ध्यान रखा जाता है। इन समूह के अर्थव्यवस्था का परंपरागत प्रमुख आधार पशुधन ही है पर इन जनजातीयों में कुछ लोग पशु चाराने के साथ ही साथ कृषि कार्य भी करते है जो इनके जीवकोपार्जन में सहायक होता है।

 

श्रीमती अनुराधा ने आगे बताया कि जहां गुज्जर भैंसो के झुंड़ को पालते एवं चराते है। वहीं बकरवाल बकरी एवं भेड़ पालने के कार्य करते है। ये दोनों ही जनजाती राज्य में दूध और मांस की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। इस क्यूरेटर टॉक में श्रीमति पी. अनुराधा द्वारा गुज्जर एवं बकरवाल जनजातियों के एथनोग्राफिक प्रोफाइल की रूपरेखा बनाने के साथ ही साथ ग्रीष्मकाल एंव शीतकाल में उनकी जीवन-शैली की मनोस्थिति का अध्ययन करते हुए उनके भौतिक संस्कृति का संग्रह किया। इनके साथ संग्रहालय के छायाचित्र एवं विडियो अनुभाग के अधिकारी श्री सुनील अलपुरिया (वरिष्ठ छायाकार) तथा श्री धरणीधर सेनापति (कैमरा सहायक) ने छाया एवं विडियों प्रलेखन का कार्य पूर्ण किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता, संग्रहालय के निदेशक, प्रो. सरित कुमार चौधुरी द्वारा की गई। मुख्य वक्ता का परिचय श्री राकेश भट्ट (सहायक क्यूरेटर) एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सूर्य कुमार पांडे (सहायक कीपर) द्वारा किया गया।

Updated date: 26-07-2018 01:09:28