फरवरी माह का प्रादर्श - “गांज”

फरवरी माह का प्रादर्श - “गांज”

इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के अंतरंग भवन वीथि संकुल में आज “माह के प्रादर्श” श्रृंखला के अंतर्गत माह फरवरी 2020 के प्रादर्श के रूप में ग्राम सप्त पार्वती टोल, जिला मधुबनी, बिहार के मल्लाह समुदाय का गुर्री (जलीय बीज) इकट्ठा करने का उपकरण “गांज” का उदघाटन संग्रहालय के निदेशक, डॉ. पी. के. मिश्र द्वारा किया गया। इस अवसर अनेक गणमान नागरिक उपस्थित थे। इस प्रादर्श का संकलन एवं संयोजन श्री श्रीकांत गुप्ता (संग्रहालय एशोसिएट) द्वारा किया गया है।

इस अवसर पर श्री गुप्ता ने बताया कि प्रदर्शित प्रादर्श “गांज” बिहार के मछुआरे समुदाय “मल्लाह” द्वारा मखाने के बीज “गुर्री” एकत्र करने हेतु प्रमुखतः एक पारम्परिक उपकरण है। गुर्री एकत्र करना मल्लाह समुदाय की एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है। जिला मधुबनी बिहारसे संकलित यह प्रादर्श बॉस की टोकरीनुमा बेलनाकार, आगे से चौडा व खोखला उपकरण है। जिसे दाँए या बाँए हाथ से पकड़कर पानी के अन्दर आसानी से घसीटा जाता है जिसके अन्दर कीचड़ के साथ मखाने के बीज भी इकठ्ठे हो जाते है कीचड़ को पानी से साफ कर गुर्री को अलग कर लिया जाता है ।

गांज बनाने की विधि व संरचना - "गांज" बांस व लत्ती से निर्मित एक उपकरण है, जिसका अग्रभाग चौड़ा व बेलनाकार खोखला होता है तथा पिछला छोर मुड़ा हुआ उठा बन्द होता है जोकि दाये या बाये हाथ से पकड़कर पानी के अन्दर घसीटने में सहायक होता है। यह सिंग की आकृति के सामान दिखाई देने वाला एक विशिष्ठ प्रकार का प्रादर्श है।जिसकी सहायता से मखाने का बीज "गुर्री" एकत्र करने का कार्य किया जाता है।

मखाना क्या है ? - मखाना पोषक तत्वों से भरपूर एक जलीय उत्पाद है। जिसका उपयोग आमतौर पर पूजापाठ और व्रत के दौरान होता है। सूखे मेवे तथा मिठाई, नमकीन, खीर आदि बनाने में भी मखाने का उपयोग किया जाता है । दरअसल मखाना औषधि गुणों से भरपूर है। इसमें प्रोटीन एंटीआक्सीडेन्ट, विटामिन, कैलशियम , मिनरल और कई प्रकार के पोषक तत्व पाये जाते हैं। बिहार में मखाने का सबसे ज्यादा उत्पादन मधुबनी में होता है यहाँ हरेक तीज त्यौहारो व शादी विवाह के अवसरो पर इसका उपयोग किया जाता है। विशेष रुप से मनाये जाने वाले स्थानीय पर्व "कोजागरा " के अवसर पर लड़की पक्ष के लोग मखाने से बने विभिन्न प्रकार के पकवान व प्रसाद बड़े से टोकरी (डाला) में भरकर लड़के पक्ष के घर पर ले जाते है। जिसे लड़के पक्ष के घर वाले अपने आस पडोस तथा रिश्तेदारो मे बॉटतें है अर्थात मधुबनी में मखाने का एक विशेष महत्व है। इस प्रकार मखाने का कुल उत्पादन में से 80 फीसद अकेले बिहार में होता है इसके अलावा मणिपुर असम , पश्चिम बंगाल , उड़ीसा जैसे राज्यो में भी मखाने की खेती होती है।

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Updated date: 16-02-2020 10:26:48