इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल के हिमालय ग्राम मुक्ताकाश प्रदर्शनी परिसर में लोसर त्यौहार के तीसरे दिन

इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल के हिमालय ग्राम मुक्ताकाश प्रदर्शनी परिसर में लोसर त्यौहार के तीसरे दिन के कार्यकम के बारे में श्री सोनम सुपारी ने बतया कि इस दिन आटे से हिरण की आकृति बनाकर चंगसा (लद्दाखी किचन) में रखकर दीप जलाते है। हिरण की आकृति देव स्वरुप माना जाता है, इसी कारण इसकी पूजा – अर्चना की जाती है। इसके साथ ही मने चक्र एवं चंगसा के विभिन्न जगह पर दीप जलाकर पुण्य-आत्माओं (धर्म के अनुसार चलने वाले) के लिए विशेष प्रसाद बनाकर चढ़ते हैं और जुनिपर के पत्ते के धूप जलाते हैं। इसके पश्चात् जप और गीत में धर्मपालों की प्रशंसा की जाती है और उनसे आशीर्वाद मांगा जाता है। इस अनुष्ठान से लोसार का आध्यात्मिक पक्ष पूर्ण होता। इस अवसर पर भोपाल में निवासरत एवं अध्यनरत इस समुदाय के लोग आये और पारंपरिक वेशभूषा एवं आभूषणों को धारण महिलाओं के साथ फोरसेस और सोनड्रोल नृत्य किये। श्री सोनम सुपारी ने बातया कि पुरानी परंपरा के अनुसार लोग अपने परिवार के सदस्यों के आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। इस दिन चांद देखने का इतंजार करते हैं और तब तक नृत्य करते एवं पारम्परिक गीत को गाते है।

Updated date: 20-01-2019 02:59:27