‘‘जनजातीय साहित्य महोत्सव 2018‘‘
बिना किसी परिचर्चा के हम कह सकते है कि भारत में निवासरत जनजातीय एवं देशज लोगों में विविधता एक प्रमुख वास्तविकता है। यह सब उनके दैनिक जीवन के वातावरण और सांस्कृतिक क्रियाकल्पों में स्पष्ट रूप से परलक्षित होता हैं। जनजातीय समुदाय कई प्रकार के बाधाओं के बावजूद परम्पराओं के अर्थ पूर्ण विकास में एक रचनात्मक योगदान दिया है। जिसमें साहित्यिक (मौखिक और शाब्दिक) परम्पराओं की भूमिका बडी ही महत्वपूर्ण है। इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय दिनांक 14,15 एवं 16 दिसंबर, 2018 को अपने भोपाल परिसर में ‘‘जनजातीय साहित्य महोत्सव 2018‘‘ का आयोजन कर रहा है जिसमें जनजातीय साहित्य से जुड़े लेखकों, कवियों, कहानीकारों को अपने लेख, कविता, कहानियों पढ़ने-लिखने का और जनजातीय समुदाओं में निहित विविध परम्पराओं के पालन में आने वाली चुनौतियों को बताने तथा उनमें अर्तनिहित विशिष्ठता को प्रकट करने के लिए एक वैकल्पिक राष्ट्रीय मंच प्रदान कर रहा है।
‘‘जनजातीय साहित्य महोत्सव 2018‘‘ एक निश्चित दायरे में रहकर बड़े पैमाने पर एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया जा रहा है। जिसमें आदिवासी साहित्य का पठन, कविता पढ़ना, लघु काहानियां पारंपरिक कहानीकार द्वारा कहानी बतायी जाएगी, आदिवासी साहित्य और भाषाओं पर एक संगोष्ठी होगी और आदिवासी साहित्य पर दिए गए योगदान पर चर्चा तथा इस पर चिंतन किया जाएगा। इसके साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं पारंपरिक भोजन का भी आयोजन इस महोत्सव में किया जाएगा।
जनजातीय लेखको, कवियों और कहानिकारों के साथ ही साथ ऐसे विशेषज्ञों को भी जो आदिवासी साहित्य के षोध में संलग्न, भाषा विषेषज्ञ, जनजातीय लिपि के जानकार तथा भारतीय जनजातीयो के प्रासंगिक मुद्दों से जुडे हुए लोगों को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया जा रहा है।
पूर्व में यह कार्यक्रम दिनांक 14,15,16 नवंबर होना था। अपरिर्हाय कारणों से इस कार्यक्रम की तिथी परिर्वतन कर दिनांक 14,15,16 दिसंबर किया गया है।