इन पदार्थों का प्रयोग लोक और जनजातीय जीवन में शक्तिवर्धक एवं निद्राजनक वस्तुओं के रूप में बहुत ही अनिवार्य तौर पर व्याप्त है| एक तरफ जहाँ तम्बाकू, मदिरा एवं अन्य नशीले पदार्थों का सेवन फुर्सत के पलों को व्यतीत करने के लिए होता है वहीँ दूसरी ओर ये महत्वपूर्ण अनुष्ठानों के उत्सवों के भी अनिवार्य अंग हैं | भारत में विशेषता जनजातियों में मेहमानों को तम्बाकू एवं मदिरा अर्पित करना बहुत सम्मानजनक माना जाता है| इस वर्ग के प्रादर्शों में तम्बाकू की थैलियाँ, पानदान, संरोता, चिलम, हुक्का, मदिरा दान, परोसने के चमचे आदि शामिल हैं|
