आखेट जीविका पार्जन का सबसे पुराना माध्यम हैं| मानव के अस्तित्व से ही उसने जीविका पार्जन हेतु आखेट को मुख्य स्त्रोत के रूप में अपनाया | कृषि के उद्भव तक यह अर्थ प्रबंधन के प्राथमिक स्त्रोत के रूप में चलता रहा | परन्तु कृषि आरम्भ होने के बाद भी मानव इसे भूला नहीं और सेकेंडरी इकोनोमी के रूप में इसका उपयोग करता रहा \ आज भी कुछ ऐसे निश्चित जनजातिय और लोक समूह हैं जो आखेट को भोजन हेतु प्रयोग कर रहे हैं| यद्दपि आखेट आज हर तरफ प्रतिबंधित हैं तथापि इसका उपयोग भोजन के स्त्रोत के रूप में ही नहीं बल्कि अनुष्ठानो उत्सवों में भीं किया जा रहा हैं | इं.गा.रा.मा.सं.ने इस वर्ग में विभिन्न समूहों अथवा समुदायों के साथ साथ क्षेत्रों से कई प्रादर्श संग्रह किये हैं |जाल,फंदा, धनुष-बाण,गमस्टिक, भाला, पिंजरा आदि संग्रहालय अधिकारियो द्वारा भारत के विभिन्न भागो से संग्रह किये गए कुछ महत्वपूर्ण आखेट प्रादर्श हैं |
