सप्ताह का प्रादर्श -आईजीआरएमएस भोपाल (22-30 जून 2020)

सप्ताह का प्रादर्श

इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा कोरोना वायरस (कोविड-19) के प्रभाव से उत्पन्न कठिन चुनौतिपूर्ण समय में जनता को संग्रहालय से ऑनलाइन के माध्यम से जोड़ने एवं उन्हें संग्रहालय के ऐतिहासिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के बारे में गहरी समझ को बढ़ावा देने के उद्देश से शरू की गई नवीन श्रृंखला 'सप्ताह का प्रादर्श' के अंतर्गत इस माह के तृतीय सप्ताह के प्रादर्श के रूप में लद्दाख के कोनयक नागा के नागाओं की शिरोच्छेदन ट्रॉफी को दर्शकों के मध्य प्रदर्शित किया गया।

20 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक नागालैंड की नागा जनजातियों में शिरोच्छेदन एक परंपरा के रूप में प्रचलित था। इस परंपरा के अवशेष अभी भी विभिन्न नागा जनजातियों  की कला और शिल्प परंपराओं में देखे जा सकते हैं, जिन्हें उन्होंने सामाजिक प्रस्थिति के चिन्ह के रूप में संरक्षित किया है।

कोनयक नागा संस्कृति में कपाल का एक विशिष्ट स्थान था क्योंकि यह पौरुष से संबंधित होने के साथ-साथ गोदना प्रथा से भी संबंधित था। एक पुरुष अपने शरीर पर गोदना तभी करा सकता था जब उसने एक मानव के शीर्ष का आखेट कर लिया हो। इसे सामाजिक प्रस्थिति का सर्वोच्च स्वरूप माना जाता था। कोनयक नागाओं में मानव कपाल को दो तरह से संरक्षित किया जाता था प्रथमत:, रिश्तेदारों के कपाल इस विश्वास के साथ संरक्षित किए जाते थे कि एक व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसकी आत्मा उसके कपाल में निवास करती है। द्वितीय, दुश्मनों के कपाल वीरता और उपलब्धि के साक्ष्य के रूप में उनके युवा गृह मोरूंग में प्रदर्शित किए जाते थे।

नागालैंड के चांगलांगशु ग्राम से संकलित यह प्रादर्श एक नागा योद्धा की गौरवपूर्ण संपत्ति है जिसने वर्ष 1895 में फोम जनजाति के एक व्यक्ति का शिरोच्छेदन किया था। चांगलांगशु नागालैंड के मॉन जिले का एक बड़ा कोनयाक गांव है। यह गांव अपने प्रसिद्ध योद्धाओं, जिन्होंने अन्य समुदायों और गांवों से युद्ध किया, के कारण प्रख्यात है। प्रादर्श के कपाल में ललाट अस्थि में एक छेद है, जो संभवतः तीव्र वेग वाले नुकीले तीर से बने घाव का स्थायी चिन्ह है। इसे नासिका और चक्षु गुहा से केन डालकर भैसें के सींगो से बांधकर एक ट्रॉफी के स्वरुप में अलंकृत किया गया है।ट्रॉफी का हत्था बांस की चौखट से तैयार किया गया है।

नोट: ऊपर दी गई जानकारी में एक नागा विद्वान डॉ. जी. कनाटो चौफी का योगदान भी सम्मिलित है।

दर्शक इस प्रादर्श का अवलोकन मानव संग्रहालय की फेसबुक साईट के माध्यम से घर बैठे कर सकते है।

Updated date: 23-06-2020 09:19:33